Geeta Govind | गीत गोविन्द | ಗೀತ ಗೋವಿಂದ

Geeta Govind 12वीं शताब्दी में महान कवि जयदेव ने गीत गोविन्द लिखा, जो संस्कृत साहित्य का एक विशिष्ट और भावपूर्ण काव्य ग्रंथ है। यह भगवान कृष्ण और राधा के प्रेम, भक्ति और प्रेम का गीतात्मक वर्णन करता है। इसके अधिकांश पद आठ पंक्तियों में लिखे गए हैं, इसलिए इसे अष्टपदी (आठ पदों का गीत) भी कहते हैं।

गीत गोविन्द के प्रमुख भाव

  • श्रृंगार रस: राधा-कृष्ण के प्रेम का मधुर वर्णन।
  • निष्ठा: कृष्ण की कृतज्ञता के माध्यम से ईश्वर के प्रति विश्वास
  • विरह के दर्द: राधा और कृष्ण के बिना क्रोध |
Geeta Govind

गीत गोविन्द का सबसे प्रसिद्ध पद है|

  • “श्रित कमल कुच मण्डल धृत कुण्डल…” (जो कमल की तरह नरम अंगों वाली राधा के हृदय में विराजते हैं, जिनके कानों में कुण्डल हैं…)
  • “जय जय देव हरे…” (हे भगवान कृष्ण, आपकी जय हो!)
  • धार्मिक और सांस्कृतिक प्रभाव ने भक्ति आंदोलन पर गहरा प्रभाव डाला, खासकर मीरा, सूरदास और चैतन्य महाप्रभु पर।
  • गीत गोविन्द के पदों को ओडिशी और मणिपुरी नृत्य में प्रस्तुत किया जाता है।
  • यह वैष्णव धर्म में एक पवित्र ग्रंथ माना जाता है।

Geeta Govind By Indreshji Maharj Credit Goes to BhaktiPath Yt Channel

Geeta Govind | गीत गोविन्द 

श्रित कमल कुच मण्डल धृत कुण्डल
कलित ललित वनमाला ।
जय जय देव हरे ॥

दीन मणि मण्डल मण्डन भव खण्डन
मुनि जन मानस हंसा ।
जय जय देव हरे ॥

कालिय विष धर गञ्जन जन रञ्जन
यदु कुल नलिन दीन ईशा ।
जय जय देव हरे ॥

मधु मुर नरक विषाण गरुडासन
सुर कुल केलि निधान ।
जय जय देव हरे ॥

अमल कमल दल लोचन भव मोचन
त्रिभुवन भवन निधान ।
जय जय देव हरे ॥

जनक सुता कृत भूषण जित दूषण
समर शमित दशकन्धा ।
जय जय देव हरे ॥

अभिनव जलधर सुन्दर धृत मन्दर
श्रीमुख चन्द्र चकोरा ।
जय जय देव हरे ॥

श्री जयदेव कवेरिदं कुरुते मुदम्
मङ्गलम् उज्ज्वल गीतम् ।
जय जय देव हरे ॥

गोविन्द बोलो हरी गोपाल बोलो – पूर्ण भजन

Geeta Govinda

Shrita kamalaa kuca mandala dhrita kundala

e kalita lalita vanamaala jaya jaya deva hare |

Dina mani mandala mandana bhava khandana

muni jana maanasa hansa jaya jaya deva hare |

Kaaliya visha dhara ganjana jana ranjana

yadu kula nalina dina iisha jaya jaya deva hare |

Madhu mura naraka viaashana garuda aasana

sura kula keli nidaana jaya jaya deva hare |

Amala kamala dala locana bhava mocana e |

tribhuvana bhavana nidhaana jaya jaya deva hare |

Janaka sutaa krita bhuushana jita duushana

samara shamita dasha khantha jaya jaya deva hare |

Abhinava jala dhara sundara dhrita mandara e |

Srii mukha candra cakora jaya jaya deva hare |

Srii jayadeva kaveh idam kurute mudam e |

mangalam ujjvala giitam jaya jaya deva hare |

Geeta Govinda | ಗೀತ ಗೋವಿಂದ

ಶ್ರಿತ ಕಮಲ ಕುಚ ಮಂಡಲ ಧೃತ ಕುಂಡಲ ಕಲಿತ ಲಲಿತ ವನಮಾಲಾ । ಜಯ ಜಯ ದೇವ ಹರೇ ॥

ದೀನ ಮಣಿ ಮಂಡಲ ಮಂಡನ ಭವ ಖಂಡನ ಮುನಿ ಜನ ಮಾನಸ ಹಂಸ ಜಯ ಜಯ ದೇವ ಹರೇ
ಕಾಳಿಯ ವಿಷ ಧರ ಗಂಜನ ಜನ ರಂಜನ ಯದು ಕುಲ ನಳಿನ ದೀನ ಈಶ ಜಯ ಜಯ ದೇವ ಹರೇ
ಮಧು ಮುರ ನರಕ ವಿಷಾಣ ಗರುಡಾಸನ ಸುರ ಕುಲ ಕೇಳಿ ನಿಧಾನ ಜಯ ಜಯ ದೇವ ಹರೇ
ಅಮಲ ಕಮಲ ದಲ ಲೋಚನ ಭವ ಮೋಚನ ಏ ತ್ರಿಭುವನ ಭವನ ನಿಧಾನ ಜಯ ಜಯ ದೇವ ಹರೇ
ಜನಕ ಸುತಾ ಕೃತ ಭೂಷಣ ಜಿತ ದೂಷಣ ಸಮರ ಶಮಿತ ದಶ ಕಂಠ ಜಯ ಜಯ ದೇವ ಹರೇ
ಅಭಿನವ ಜಲಧರ ಸುಂದರ ಧೃತ ಮಂದರ ಏ ಶ್ರೀ ಮುಖ ಚಂದ್ರ ಚಕೋರ ಜಯ ಜಯ ದೇವ ಹರೇ
ಶ್ರೀ ಜಯದೇವ ಕವೇಹ ಇದಂ ಕುರುತೇ ಮುದಂ ಏ ಮಂಗಳಂ ಉಜ್ಜ್ವಲ ಗೀತಂ ಜಯ ಜಯ ದೇವ ಹರೇ
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