अमृतेश्वर मंदिर (अमृतेश्वर मंदिर) कर्नाटक के चिक्कमगलूर जिले के अमृतपुरा गांव में एक प्राचीन शिव मंदिर स्थित है। यह मंदिर होयसला वास्तुकला का एक उत्कृष्ट उदाहरण और अपना परिसर है |

Amrutesvara Temple मंदिर का इतिहास
अमृतेश्वर मंदिर का निर्माण 12वीं शताब्दी में होयसला शासक वीर बल्लाल द्वितीय के शासनकाल में हुआ था। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और इसका नाम “अमृत” (अमरता) और “ईश्वर” (भगवान) से मिलकर बना है। मंदिर के आसपास का गाँव भी इसी नाम से जाना जाता है – अमृतपुरा।
मंदिर की वास्तुकला
अमृतेश्वर मंदिर होयसला शैली में बना हुआ है, जिसकी विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:
- स्टार-आकार की नींव – होयसला मंदिरों की खासियत यह है कि वे स्टार-आकार की जमीन पर बने होते हैं।
- जटिल नक्काशी – मंदिर की दीवारों पर देवी-देवताओं, पौराणिक कथाओं और जानवरों की सुंदर नक्काशी की गई है।
- मंडप और गर्भगृह – मंदिर में एक विशाल मंडप और गर्भगृह है, जहाँ शिवलिंग स्थापित है।
- नंदी मंडप – मंदिर के सामने नंदी की एक विशाल मूर्ति है।
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बैंगलोर से अमृतेश्वर मंदिर की दूरी
अमृतेश्वर मंदिर बैंगलोर से लगभग 220 किलोमीटर दूर है। यह चिक्कमगलूर जिले में स्थित है और यहाँ पहुँचने में लगभग 4-5 घंटे लगते हैं।
मंदिर तक पहुँचने का सबसे आसान रास्ता
- हवाई मार्ग: रोडवेज एयरपोर्ट बैंगलोर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा (केम्पेगौड़ा अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा) है। वहां से आप कार या बस द्वारा मंदिर तक पहुंच सकते हैं।
- रेल मार्ग: नजदीकी रेलवे स्टेशन कडूर (Kadur) है, जो मंदिर से लगभग 30 किमी दूर है।
- सड़क मार्ग: बैंगलोर से चिक्कमगलूर जाने वाली बसें या निजी वाहन से आप NH75 होते हुए अमृतपुरा पहुँच सकते हैं।
आसपास के पर्यटन स्थल
- बेलूर और हलेबिडु के मंदिर – होयसला वास्तुकला के प्रसिद्ध मंदिर, जो लगभग 80-100 किमी की दूरी पर हैं।
- चिक्कमगलूर – प्रसिद्ध कॉफी एस्टेट और मुल्लयनगिरी पहाड़ियों के लिए जाना जाता है।
- श्रवणबेलगोला – जैन तीर्थस्थल और गोमतेश्वर की विशाल मूर्ति के लिए प्रसिद्ध।