इस वर्ष, Akshaya Tritiya अक्षय तृतीया 30 अप्रैल, बुधवार को होगी। यह पावन पर्व सनातन धर्म में विशेष महत्व रखता है। ‘अक्षय’ का मतलब है जिसका कभी क्षय न हो, और तृतीया वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तीसरी तिथि है। मान्यता है कि इस दिन किए गए शुभ कार्य, दान, और पूजा का फल अक्षय होता है। आइए, इस महत्वपूर्ण त्योहार के बारे में विस्तार से जानते हैं|
अक्षय तृतीया न केवल एक तिथि या त्योहार है, किन्तु यह एक चिरस्थायी परंपरा भी है जो हमें सनातन मूल्यों और जीवन के शाश्वत सत्य से जोड़ती है। यह हमें बताता है कि हमारे द्वारा किए गए अच्छे कर्म कभी व्यर्थ नहीं जाते, उनका फल किसी न किसी रूप में हमें अवश्य मिलता है। इस दिन का आध्यात्मिक और भौतिक दोनों ही दृष्टियों से गहरा महत्व है।

Akshaya Tritiya अक्षय तृतीया 2025: शुभ मुहूर्त
- इस साल अक्षय तृतीया का शुभ मुहूर्त इस तरह होगा:
- तृतीया तिथि का आरंभ: 29 अप्रैल, मंगलवार को शाम 05:29 बजे
- तृतीया तिथि समाप्ति: 30 अप्रैल, बुधवार दोपहर 02:12 बजे
- पूजा का शुभ मुहूर्त: 30 अप्रैल को सुबह 06:07 बजे से दोपहर 12:37 बजे तक
- क्रय शुभ मुहूर्त: 30 अप्रैल को सुबह 05:41 बजे से दोपहर 02:12 बजे तक
अक्षय तृतीया को अबूझ मुहूर्त को माना जाता है, और इसका अर्थ होता है कि अक्षय तृतीया के इस दिन पर किसी भी शुभ काम को करने के लिए पंचांग देखने की लाजिमियत नहीं होती। विवाह, गृह प्रवेश, नया व्यापार शुरू करना, और सोना खरीदना यह दिन विशेषतौर पर शुभ माना जाता है।
अक्षय तृतीया से जुड़ी पौराणिक कथाएँ |
- अक्षय तृतीया के साथ जुड़ी कई रोचक और महत्वपूर्ण कथाएँ हैं, जो इस पर्व का महत्व प्रकट करती हैं:
- भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा: मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि और धन की वर्षा होती है। इसलिए, कई लोग इस दिन उनकी विशेष आराधना करते हैं।
- भगवान परशुराम का जन्मदिवस: अक्षय तृतीया को भगवान विष्णु के छठे अवतार, परशुराम का जन्मदिवस भी माना जाता है। इस दिन उनकी जयंती भी मनाई जाती है।
- युधिष्ठिर को अक्षय पात्र की प्राप्ति: महाभारत की कहानी के अनुसार, यही दिन पांडवों के वनवास के समय भोजन की कमी से गुजर-बसर कर रहे युधिष्ठिर को सूर्य देव से अक्षय पात्र प्राप्त हुआ था। इस पात्र की विशेषता यह थी कि इससे कभी भी भोजन खत्म नहीं होता था, जिससे पांडवों और द्रौपदी को भोजन मिलता रहा।
- गंगा नदी का पृथ्वी पर अवतरण: कुछ मान्यताओं के अनुसार, माँ गंगा का पृथ्वी पर अवतरण भी अक्षय तृतीया के दिन ही हुआ था। इसलिए, इस दिन गंगा स्नान का भी विशेष महत्व है।
- सुदामा और श्रीकृष्ण की मित्रता: एक अन्य कथा के अनुसार, उसी दिन भगवान कृष्ण के बचपन से दोस्त सुदामा उनके सामने द्वारका पहुँचे थे। सुदामा के पास कृष्ण के लिए थोड़ा चावल रखकर वह वहाँ गए थे, जिसे देखकर भगवान कृष्ण बहुत खुश हुए और उन्होंने सुदामा को बदले में अंतहीन धन-संपत्ति दी। यह कहानी सच्चे मित्रता और अहंकार रहित प्यार का प्रतीक है।
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अक्षय तृतीया की शुभकामनाएँ
- माँ लक्ष्मी की कृपा आप पर सदैव बनी रहे। अक्षय तृतीया की हार्दिक शुभकामनाएँ!
- यह अक्षय तृतीया आपके जीवन में सुख, समृद्धि और खुशियाँ लेकर आए।
- भगवान विष्णु आप और आपके परिवार को आरोग्य और धन दांते करें। अक्षय तृतीया मुबारक हो।
- आपके सभी मंगल कार्य अक्षय हों और आपको उनका अनंत फल प्राप्त हो। अक्षय तृतीया की शुभकामनाएँ!
- सोने की चमक और माँ लक्ष्मी का आशीर्वाद आपके घर को हमेशा रोशन रखें। हैप्पी अक्षय तृतीया!
- अक्षय तृतीया का यह पर्व हमें दान, धर्म और शुभ कर्मों के महत्व को याद दिलाता है। इस दिन को श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाएं और अपने जीवन में सुख-समृद्धि को आमंत्रित करें।
आध्यात्मिक महत्व:
अक्षय तृतीया के दिन आध्यात्मिक उन्नति के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण होता है। इस दिन किया गया जप, तप, और ध्यान का अनंत गुना फल मिलता है। यह आत्म-चिंतन और ईश्वर के प्रति समर्पण का दिन है। कई लोग इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करते हैं और धार्मिक स्थलों के दर्शन करते हैं ताकि वे आध्यात्मिक लाभ प्राप्त कर सकें।