Govardhan Shila: जहाँ श्रीकृष्ण की लीलाएँ आज भी जीवंत हैं

Govardhan Shila : गोवर्धन शिला, जो भगवान श्रीकृष्ण से सीधे जुड़ा हुआ है, गोवर्धन पर्वत का एकमात्र हिस्सा है। यह शिला ब्रज क्षेत्र के गोवर्धन पहाड़ से आती है, जिसे कृष्ण की लीलाओं का जीवंत चित्र कहा जाता है। यह शिला और पहाड़ पवित्र माने जाते हैं क्योंकि श्रीकृष्ण ने इसे उठाकर इंद्र की भारी बारिश से व्रजवासियों को बचाया था।

Govardhan Shila

गोवर्धन उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले में है, वृंदावन से 21 से 26 किलोमीटर की दूरी पर। यह एक 25 मीटर ऊँची और लगभग 8 किलोमीटर लंबी रेत-पत्थर की पहाड़ी है।

भक्त जन गोवर्धन परिक्रमा, इस पवित्र स्थान पर एक घुमावदार परिक्रमा मार्ग है। यह परिक्रमा लगभग 38 किलोमीटर लंबी है और इसमें कई कुंड (पवित्र जलाशय), मंदिर और शिलास्थल आते हैं, जैसे मनसी गंगा, राधा, श्याम और कुसुम सरोवर। भक्त इसे भक्ति और श्रद्धा से करते हैं।

धार्मिक दृष्टि से गोवर्धन शिला महत्वपूर्ण है क्योंकि श्रीमद्भागवत में कहा गया है कि श्रीकृष्ण ने यहाँ इंद्रदेव के क्रोध से अपनी गोप-भग्यवती व्रजवासियों को बचाने के लिए पहाड़ उठाया था। इस घटना ने दिखाया कि भगवान् स्वयं प्रकृति की रक्षा करने में कितने सक्षम हैं। यही कारण है कि गोवर्धन पर्वत और उसमें मिलने वाली शिला को भगवान का ही स्वरूप माना जाता है, और उनके अनुयायी इसे एक अलग देवता मानते हैं।

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Govardhan Shila और उसके आसपास की कला

गोवर्धन क्षेत्र में भक्तों को कई पुरातन मंदिर और धार्मिक स्थान मिलते हैं। इनमें कुसुम सरोवर, डांगहाटि मंदिर, श्री चैतन्य मंदिर, गिरिराज मंदिर और राधा कुण्ड मंदिर शामिल हैं। यह धार्मिक निर्मितियाँ अपने आप में सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व रखती हैं।

गोवर्धन शिला को पूजा वस्तु भी मानते हैं। हिन्दू लोग इसे गोवर्धन पर्वत के रूप में मानते हैं और घर में इस शिला को रखकर पूजा करते हैं। कुछ परंपराओं में, राधा के प्रतीक के रूप में, इस शिला को गुंजा माला से सजाया जाता है।

दूरी बंगलौर  से 

  • बंगलौर के बाहर बंगलौर (अब बेंगलुरु) से गोवर्धन शिला-गोवर्धन क्षेत्र की दूरी लगभग 1700 किलोमीटर है। बंगलौर से पहले आपको ट्रेन, बस या हवाई जहाज से मथुरा, आगरा या दिल्ली जाना होगा, फिर वहाँ से सड़क द्वारा गोवर्धन जाना होगा। यह दूरी लंबी है, लेकिन भक्ति और धार्मिक यात्रा के लिए बहुत फायदेमंद है।

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