Ganga : गंगा नदी सिर्फ एक जलधारा नहीं है; यह भारत की धर्म, संस्कृति और आध्यात्मिकता का भी प्रतीक है। पुराणों, वेदों और प्राचीन कहानियों में उत्तर मिलता है कि गंगा नदी को पृथ्वी पर कौन लाया था। गंगा का अवतरण इतिहास, आस्था और विश्वास अद्भुत हैं।

Ganga गंगा अवतरण का इतिहास महाभारत
विष्णु पुराण, भागवत पुराण और रामायण (बालकांड) में गंगा अवतरण की कथा बताई गई है। इन ग्रंथों में कहा गया है कि स्वर्ग में पहले गंगा मंदाकिनी के रूप में बहती थी। कपिल मुनि ने राजा सगर के 60,000 पुत्रों को मार डाला। सगर वंश के राजा भगीरथ ने अपनी आत्मा की शांति और मोक्ष के लिए कठोर तपस्या की। रामायण और विष्णु पुराण में यह कहानी मिलती है।
भगीरथ की कोशिश: इतिहास और मूल्य
वर्षों तक तपस्या करके राजा भगीरथ ने ब्रह्मा को प्रसन्न किया। जब ब्रह्मा ने गंगा को पृथ्वी पर डालने की अनुमति दी, तो गंगा का वेग इतना शक्तिशाली था कि पृथ्वी को नष्ट कर सकता था। इसलिए ब्रह्मा ने शिव से मदद मांगी।
“भगीरथ प्रयास” आज भी राजा भगीरथ की कठोर मेहनत और दृढ़ इच्छा का नाम है। रामायण (बालकांड) और वायु पुराण में इसका उल्लेख मिलता है।
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भगवान शिव की कृपा
- भगवान शिव ने गंगा को अपनी जटाओं में रखा और फिर इसे धीरे-धीरे जमीन पर बहाया। इससे धरती बच गई। शिव पुराण, स्कंद पुराण और भागवत पुराण में यह घटना बताई गई है।
- शिव की जटाओं से निकलकर गंगा हिमालय में प्रवाहित हुईं और आगे चलकर पूरे भारत की जीवन रेखा बनीं।
- गंगा का नाम भागीरथी से आया है
- राजा भगीरथ ने गंगा को “भागीरथी” भी कहा था। गंगा का ऊपरी भाग (गंगोत्री क्षेत्र) इस नाम से जाना जाता है। पद्म पुराण और विष्णु पुराण इसे बताते हैं।
धार्मिक और आत्मिक अर्थ
- गंगाजल को बहुत पवित्र मानते हैं।
- पाप और मोक्ष का माध्यम
- आत्मा को मृत्यु के बाद अस्थि विसर्जन
- गंगा तट पर कुंभ मेला, प्रयागराज, वाराणसी और हरिद्वार जैसे पवित्र समारोह
- ऋग्वेद, अथर्ववेद और लगभग सभी प्रमुख पुराणों में इसका उल्लेख मिलता है।
विश्वास और वैज्ञानिक दृष्टिकोण
वैज्ञानिकों ने बताया कि गंगाजल में दोनों औषधीय और जीवाणुनाशक गुण हैं। वर्षों तक स्थिति खराब नहीं होगी। माना जाता है कि इसका कारण हिमालयी जड़ी-बूटियाँ और खनिज हैं। यह तथ्य पुरानी मान्यताओं और आधुनिक विज्ञान के बीच एक पुल बनाता है।


