1. भगवान श्रीराम — राम नवमी
- मास: चैत्र
- पक्ष: शुक्ल
- तिथि: नवमी
- समय: मध्याह्न
- क्यों “नवमी”, जयंती नहीं?
- वाल्मीकि रामायण में जन्म-तिथि पूर्ण रूप से निश्चित है |
चैत्र शुक्ल नवमी: क्यों श्रीराम का जन्म ‘राम नवमी’ कहलाया, राम जयंती नहीं |

2. भगवान श्रीकृष्ण — जन्माष्टमी
- मास: भाद्रपद
- पक्ष: कृष्ण
- तिथि: अष्टमी
- समय: निशीथ काल
- क्यों “अष्टमी”?
अष्टमी तिथि अत्यंत प्रसिद्ध और निर्णायक है |
“भाद्रपद कृष्ण अष्टमी: श्रीकृष्ण का जन्म ‘जन्माष्टमी’ क्यों कहलाया?”
3. भगवान हनुमान — हनुमान जयंती
- चैत्र शुक्ल पूर्णिमा (उत्तर भारत)
- मार्गशीर्ष अमावस्या (दक्षिण भारत)
- क्यों “जयंती”?
- जन्म-तिथि पर क्षेत्रीय मतभेद
- इसलिए तिथि आधारित नाम नहीं रखा गया |
“एक नहीं अनेक तिथियाँ: इसलिए हनुमान पर्व ‘जयंती’ कहलाया” |
4. भगवान गणेश — गणेश चतुर्थी
- मास: भाद्रपद
- पक्ष: शुक्ल
- तिथि: चतुर्थी
- क्यों “चतुर्थी”?
- चतुर्थी तिथि गणेश जी से विशेष रूप से जुड़ी |
“भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी: गणपति का जन्म ‘गणेश चतुर्थी”
5. भगवान शिव — महाशिवरात्रि
- मास: फाल्गुन
- पक्ष: कृष्ण
- तिथि: चतुर्दशी
- क्या यह जन्म-पर्व है?
- नहीं, यह प्राकट्य और तत्त्व-लीला का पर्व है
- शिव अनादि-अनंत हैं |
“शिव का जन्म नहीं, प्राकट्य: महाशिवरात्रि का वास्तविक अर्थ”
6. भगवान विष्णु (नृसिंह अवतार) — नृसिंह जयंती
- मास: वैशाख
- पक्ष: शुक्ल
- तिथि: चतुर्दशी
- क्यों “जयंती”?
- अवतार विशेष का प्राकट्य
- जयंती शब्द अधिक उपयुक्त |
“वैशाख शुक्ल चतुर्दशी: नृसिंह अवतार की जयंती”
7. भगवान परशुराम — परशुराम जयंती
मास: वैशाख
पक्ष: शुक्ल
तिथि: तृतीया (अक्षय तृतीया)
“अक्षय तृतीया और परशुराम जयंती का दिव्य संयोग”
8. भगवान परशुराम — परशुराम जयंती
- मास: वैशाख
- पक्ष: शुक्ल
- तिथि: तृतीया (अक्षय तृतीया)
“अक्षय तृतीया और परशुराम जयंती का दिव्य संयोग”
9. देवी सीता — सीता नवमी
मास: वैशाख
पक्ष: शुक्ल
तिथि: नवमी
“वैशाख शुक्ल नवमी: माता सीता का प्राकट्य दिवस”
10. भगवान शनि — शनि जयंती
- मास: ज्येष्ठ
- पक्ष: अमावस्या
“ज्येष्ठ अमावस्या: कर्मफल दाता शनि की जयंती”
11. देवी दुर्गा — नवरात्रि (प्राकट्य पर्व)
- मास: चैत्र / आश्विन
- क्यों जयंती नहीं?
- देवी शक्ति चिरंतन हैं
- यह शक्ति-उपासना पर्व है |
“नवरात्रि: जन्म नहीं, शक्ति का जागरण”


