Bhutnath Temple : प्राचीन मंदिरों और स्थापत्य कला से भरपूर भारत है। इन्हीं अद्भुत धरोहरों को कर्नाटक राज्य का बादामी कहा जाता है। यहाँ स्थित भूतनाथ मंदिर समूह, चालुक्य काल की महान कला, संस्कृति और आस्था का जीवंत उदाहरण है। प्रेमियों, श्रद्धालुओं और पर्यटकों को आज भी यह मंदिर समूह भगवान शिव को समर्पित है।

Bhutnath Temple भूतनाथ मंदिर का इतिहास
भूतनाथ मंदिर को सातवीं से ग्यारहवीं शताब्दी के बीच बनाया गया था। चालुक्य राजाओं ने इसका निर्माण किया था। चालुक्य साम्राज्य उस समय दक्षिण भारत का सबसे बड़ा राज्य था और उसकी वास्तुकला पूरे दक्कन क्षेत्र में प्रसिद्ध थी।
“भूतनाथ” शब्द का अर्थ है “भूतों के स्वामी”, जो भगवान शिव का एक रूप है। इस मंदिर में भगवान शिव को प्राचीन काल से पूजा जाता है।
स्थापत्य कला और विशेषताएँ
भूतनाथ मंदिर समूह दो प्रमुख भागों में विभाजित है:
- भूतनाथ मंदिर, पूर्व
- उत्तर भूतनाथ धाम
यह मंदिर अगस्त्य झील के किनारे स्थित है, जो इसे और भी सुंदर बनाता है। इन लाल बलुआ पत्थर से बने मंदिरों की दीवारों पर शिल्पकला, देव प्रतिमाएँ और बारीक नक्काशी देखने लायक हैं।
- मंदिर की छत और खंभों पर हिंदू देवी-देवताओं के चित्र हैं।
- स्थापत्य शैली में उत्तर भारतीय (नागरा शैली) और दक्षिण भारतीय (द्रविड़ शैली) शैली का मिश्रण दिखाई देता है।
- सूर्योदय के समय झील के पानी में मंदिर का प्रतिबिंब दिखाई देता है, जो बहुत अद्भुत और दिव्य लगता है।
बैंगलोर तक की दूरी
- बादामी, कर्नाटक में भूतनाथ मंदिर है।
- बैंगलोर का स्थान: लगभग 450 किलोमीटर की दूरी पर।
यहाँ पहुँचने के लिए ट्रेन, बस और निजी कार सबसे अच्छे विकल्प हैं। बादामी रेलवे स्टेशन है।
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आसपास देखने योग्य स्थान
बादामी में भूतनाथ मंदिर के अलावा अन्य स्मारक हैं, जैसे—
- 6वीं शताब्दी का बादामी गुफा मंदिर
- Agasty झील
- माल्लिकार्जुन की गुफा
- दत्तात्रेय भगवान का मंदिर
- पास में ही ऐहोल और पट्टदकल हैं, जो चालुक्य काल के प्रमुख स्थापत्य केंद्र हैं।