Bahuchara mata : भारत में देवताओं की बहुत सी कहानियां और मंदिर हैं। इन्हीं में से एक है बहुचरा माता, जिन्हें राजस्थान और गुजरात में शक्ति के रूप में पूजा जाता है। बहुचरा माता को हिजड़ों (किन्नरों) की आराध्या भी माना जाता है, और आज भी लोगों की आस्था का केंद्र उनकी गाथा है।

Bhauchara mata मंदिर का इतिहास
गुजरात के मेहसाणा राज्य के बेहचराजी कस्बे में बहुचरा माता मंदिर है। यह मंदिर शायद १८वीं शताब्दी में बना था और कई राजाओं ने इसे फिर से बनाया। बहुचरा माता को शक्ति पीठ भी कहा जाता है। यहाँ माता के आशीर्वाद और चमत्कारों की कई कहानियाँ स्थानीय लोगों में प्रचलित हैं।
बहुचर्चित माता की कहानी
कहानी कहती है कि बहुचरा देवी अपने परिवार के साथ घूमती थीं। उन्हें रास्ते में एक डाकू ने परेशान करने की कोशिश की। माता ने उसे शाप दिया और कहा कि वह एक किन्नर बन जाएगा। लेकिन माता ने भी कहा कि जो भी किन्नर उनकी पूजा करेगा, वह समाज में एक विशेष स्थान पाएगा। तब से, बहुचरा माता को हिजड़ों का बचाव करने वाली देवी मानते हैं।
मंदिर का निर्माण
बहुचरा माता मंदिर का निर्माण बहुत सुंदर है। यह सफेद पत्थरों और बारीक नक्काशी से सजे स्तंभों से अलग है। माता की मूर्ति गर्भगृह में शांति और शक्ति का अद्भुत संगम लगता है। मंदिर परिसर में सुंदर शिल्पकला और तोरण द्वार भी देखने योग्य हैं।
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आसपास के आकर्षण
- बहुचरा माता मंदिर के आसपास भी कई रोचक स्थान हैं:
- सूर्य मंदिर, मोढेरा: यह एक प्राचीन मंदिर है जो सूर्य देव को समर्पित है।
- पाटन की रानी की आज्ञा— यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल
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बेंगलुरु के दूरी
बेंगलुरु से बहुचरा माता मंदिर की दूरी लगभग 1,600 किलोमीटर है। बेंगलुरु से अहमदाबाद तक हवाई यात्रा करके सड़क पर बेहचराजी पहुँच सकते हैं।