Pitru Paksha 2025 पितृ पक्ष 2025 श्रद्धा और निष्ठुरता शुरू

  • Pitru Paksha 2025 पितृ पक्ष 2025 प्रारंभ: 7 सितंबर 2025 से रविवार
  • स्थापना: 21 सितंबर 2025, रविवार
  • सर्वपितृ अमावस्या (महालया अमावस्या) का अंतिम दिन |
Pitru Paksha 2025

Pitru Paksha 2025 पितृ पक्ष 2025 श्राद्ध-तिथियों का पूरा क्रम

दिनांकश्राद्ध तिथितिथि की शुरुआततिथि का समाप्ति समय
7 सितम्बरपूर्णिमा श्राद्धसुबह 1:41 बजेरात 11:38 बजे
8 सितम्बरप्रतिपदा श्राद्धरात 11:38 बजे (7 सितम्बर से)शाम 9:11 बजे
9 सितम्बरद्वितीया श्राद्धशाम 9:11 बजे (8 सितम्बर से)शाम 6:28 बजे (9 सितम्बर)
10 सितम्बरतृतीया श्राद्धशाम 6:28 बजे (9 सितम्बर से)दोपहर 3:37 बजे
11 सितम्बरचतुर्थी श्राद्धदोपहर 3:37 बजे (10 सितम्बर से)दोपहर 12:45 बजे
12 सितम्बरपंचमी श्राद्धदोपहर 12:45 बजे (11 सितम्बर से)सुबह 9:58 बजे
13 सितम्बरषष्ठी श्राद्धसुबह 9:58 बजे (12 सितम्बर से)सुबह 7:23 बजे
14 सितम्बरसप्तमी श्राद्धसुबह 7:23 बजे (13 सितम्बर से)सुबह 5:04 बजे
15 सितम्बरअष्टमी श्राद्धसुबह 5:04 बजे (14 सितम्बर से)सुबह 3:06 बजे
16 सितम्बरनवमी श्राद्धसुबह 3:06 बजे (15 सितम्बर से)रात 1:31 बजे
17 सितम्बरदशमी श्राद्धरात 1:31 बजे (16 सितम्बर से)रात 12:21 बजे
18 सितम्बरएकादशी श्राद्धरात 12:21 बजे (17 सितम्बर से)रात 11:39 बजे
19 सितम्बरद्वादशी श्राद्धरात 11:39 बजे (17 सितम्बर से)रात 11:24 बजे
20 सितम्बरतृयोदशी श्राद्धरात 11:24 बजे (18 सितम्बर से)रात 11:36 बजे
21 सितम्बरचतुर्दशी श्राद्धरात 11:36 बजे (19 सितम्बर से)अमावस्या की शुरुआत
21 सितम्बरसर्वपितृ अमावस्या (अमावस्या तिथि)अमावस्या तिथि की शुरुआत ~ 12:16 AMसमाप्ति ~ 1:23 AM (22 सितम्बर)

पितृ पक्ष के नियम और महत्व

  • 16 दिनों में पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पूजा-पाठ, तर्पण, पिंडदान और दान करते हैं।
  • मान्यता है कि विधिवत् श्राद्ध मृत आत्माओं को मोक्ष देता है।
  • उस समय विवाह करना, आभूषण खरीदना या जमीन-जमील खरीदना वर्जित है।

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पितृ पक्ष 2025 – नियम और परंपराएँ

  • पितृ पक्ष चौबीस दिनों का है, जो भाद्रपद पूर्णिमा से शुरू होकर सर्वपितृ अमावस्या पर समाप्त होता है।
  • श्राद्ध प्रायः पुत्र या परिवार का पुरुष सदस्य करता है, लेकिन कुछ मामलों में नाती भी कर सकता है। तीन पीढ़ियों के पितरों को श्राद्ध किया जाता है। दोपहर श्राद्ध का सबसे अच्छा समय है।
  • इसे नदी, तालाब, धार्मिक स्थान या घर पर भी कर सकते हैं। मुख्य अनुष्ठान में ब्राह्मण भोजन, पिंडदान और तर्पण (जल और तिल का अर्पण) शामिल हैं। श्राद्ध में खीर, दाल-
  • चावल और अन्य सात्त्विक खाद्य पदार्थों का उपयोग किया जाता है। जरूरतमंदों और ब्राह्मणों को भोजन, कपड़े और अन्न दिया जाता है। चौथी, नवमी, द्वादशी और चतुर्दशी को अलग-
  • अलग श्राद्ध होते हैं। सभी पूर्वजों को श्राद्ध करने का दिन सर्वपितृ अमावस्या है, जिनकी तिथि ज्ञात नहीं है या श्राद्ध छूट गया है।
  • पितृ पक्ष में शादी करनी चाहिए, घर आना चाहिए और कुछ नया करना चाहिए। मांसाहार, मदिरा, मसालेदार भोजन और झूठ बोल छोड़ देना चाहिए।
  • वर्तमान समय में अशांति, क्रोध और अपशब्दों से बचना चाहिए। नियमित रूप से पितृ पक्ष में श्राद्ध करने से पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है और परिवार को आशीर्वाद मिलता है।

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