Bankey Bihari Temple : यमुना के किनारे बसा एक पवित्र धार्मिक नगर, वृंदावन, कृष्ण भक्तों का स्वर्ग है | बांके बिहारी मंदिर, दिव्य प्रेम और भावुक भक्ति का प्रतीक है, इसी जगह पर है।

Bankey Bihari Temple इतिहास
बांके बिहारी मंदिर लगभग 1860 में बनाया गया था। माना जाता है कि यह मूर्ति भगवान कृष्ण का “बांके बिहारी” रूप है, जो बांसुरी की मुद्रा में तीन कोणों पर मुड़ी हुई है। भक्त स्वामी हरिदास ने निधिवन में संगीत बजाते समय यह छवि खोजी थी।
मंदिर में निरंतर दर्शन नहीं चाहिए— नियम हैं: मंदिर एक रहस्यमयी और दिव्य अनुभव बनाता है जब बार-बार पर्दा गिराया जाता है और फिर खोल दिया जाता है।
मंदिर का निर्माण और वातावरण
बांके बिहारी मंदिर अपनी सरल लेकिन क्रांतिकारी स्थापत्य कला के लिए प्रसिद्ध है। मंदिर के भीतर शांत माहौल है और दीवारों पर संस्कृत और ब्रज भाषा में भक्ति भाव झलकता है। रात में मंदिर की रोशनी और आभा इसे और भी सुंदर बनाती है।
पूजा करने की अनेक परंपराएं भी हैं। जैसे कि बिहारी जी की छवि बच्चों की तरह छोटी है और उनकी पूजा में एक विशेष मधुरता और प्यार है।
Alopi devi mandir Uttarpradesh Temple.
पूजा समारोह और पुजारी (सेवाधिकारी)
गोस्वामी (Goswami) समुदाय के लोग मंदिर की पूजा और सेवा करते हैं।
दिन भर अलग-अलग आरतियाँ होती हैं— सुबह की आरती, भोजन, और शाम की आरती पुराने लोगों और श्रद्धालुओं के लिए ये खास महत्वपूर्ण हैं। वृंदावन का महत्व सिर्फ बांके बिहारी मंदिर तक नहीं है |आसपास कई अन्य लोकप्रिय तीर्थस्थलों को देखना अच्छा है |
- निधिवन: कहा जाता है कि राधा-कृष्ण की रास लीला यहीं होती है।
- प्रेम मंदिर: प्यार और श्रद्धा का सुंदर मंदिर।
- राधा रमण मंदिर: वृंदावन में अन्य एक पवित्र मंदिर |
- वृंदावन में स्थित चंद्रोदय मंदिर: वर्तमान में बहुत ऊँचा धार्मिक स्मारक बनने वाला आधुनिक मंदिर निर्माणाधीन है।
वृंदावन का संक्षिप्त इतिहास वृंदावन का प्राचीन इतिहास अत्यंत प्रेरक है। यह शहर 16वीं और 17वीं शताब्दी में बढ़ गया था |पवित्र स्थानों की खोज करने वाले चैतन्य महाप्रभु ने इसके धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व को और बढ़ा दिया। अब वृंदावन तीर्थयात्रियों का पसंदीदा स्थान है क्योंकि यहाँ बहुत से मंदिर हैं और भक्ति भाव है।


