Dwarkadheesh Temple : मथुरा में श्रीकृष्ण मंदिर कृष्ण प्रेमियों के लिए श्री द्वारकाधीश मंदिर (Shri Dwarkadhish Temple) मथुरा की पावन धरती पर एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है। यह मंदिर आस्था, भव्यता और विचित्र संरचना के लिए प्रसिद्ध है।

Dwarkadheesh temple इतिहास।
1814 में, ग्वालियर राज्य के कोषाध्यक्ष सेठ गोकुलदास पारीख ने द्वारकाधीश मंदिर का वर्तमान रूप बनाया |
ग्वालियर के महाराजा दौलत राय सिंधिया ने मंदिर को उनके सहयोग और दान से बनाया था।
यह मंदिर पुस्टिमार्गीय पंथ के लिए महत्वपूर्ण है, जिसमें वर्तमान में पूजा की जाती है।
मंदिर में जन्माष्टमी, राधाष्टमी, होली, शरद पूर्णिमा और हिंदोला (झूला) उत्सव हैं।
हिंदोला उत्सव विशेष रूप से भव्य रूप से मनाया जाता है— द्वारकाधीश और राधारानी की मूर्तियों को इस दौरान झूले पर बैठाकर सुंदर अलंकरण किया जाता है।
वास्तुशास्त्र
- द्वारकाधीश मंदिर राजस्थानी/मारू-गुर्जरा वास्तुकला शैली में बनाया गया है, जो अपनी कलाकारी और नक्काशी के लिए प्रसिद्ध है।
- मंदिर परिसर में तीन पंक्तियों में नक्काशीदार स्तंभ आँगन को विभाजित करते हैं, जिसमें सुंदर प्रवेश द्वार है।
- मंदिर का बड़ा आँगन, या कोर्टयार्ड, सुंदर चित्रों से भरा है, जो कृष्ण के जीवन की कहानियों को चित्रित करते हैं।
- द्वारकाधीश और राधारानी की मूर्तियाँ गर्भगृह (संतुम संक् तम) में हैं, और मंदिर में तुलसी का पौधा भी है क्योंकि तुलसी भगवान कृष्ण का प्रिय पौधा माना जाता है।
Click here for Alopi devi mandir Uttar Pradesh.
क्षेत्र और आसपास के प्रमुख पर्यटन स्थल |
- विश्राम क्षेत्र: मंदिर के पास यमुना आरती होती है।
- Krishna जन्मभूमि मंदिर: मथुरा का मशहूर मंदिर, जहाँ भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था
- आसपास की गलियों में छोटी-छोटी दुकानें हैं जहाँ बिंदी, चूड़ियाँ, धार्मिक सामान और स्थानीय भोजन बेचे जाते हैं।
- स्थानीय बाजार भोजन: मंदिर के आसपास आप मथुरा की प्रसिद्ध चाट, कचौरियाँ, जलेबी और पुलाव भी खा सकते हैं।
- Dwarkadheesh Temple मथुरा में श्रीकृष्ण भक्तों का सबसे बड़ा धाम है। यह मंदिर आस्था का केंद्र है क्योंकि यह अपनी विशिष्ट स्थापत्य, सुंदर शृंगार और सुंदर आरतियों के लिए प्रसिद्ध है।
- द्वारकाधीश मंदिर, मथुरा में श्रीकृष्ण की लीलाओं और वैष्णव परंपरा का जीवंत प्रतीक है, जहाँ भक्ति, इतिहास और सांस्कृतिक सौंदर्य का अनूठा संगम भक्तों को मिलता है।


